इंतजार किया जी भर कर उनसे मिलने की कोशिश भी की, कहाँ रह गये वो जिन्होने हर वादा निभाने की कसम भी ली। आसान भी तो नही है सूर्य की किरणों की तरह बिखर जाना, खुद की खुशियों को न्यौछावर कर दूसरो को खुशी दे जाना। माना बहुत व्यस्त है जिन्दगी की उलझनों मे वह आजकल, पर कहाँ रह गये जो मुझे याद करते थे हर दिन हर पल। शायद खुशी मिलती होगी तुम्हे मुझे यूं तड़पता हुआ देखकर, मेरा क्या?तुम खुश रह लो मुझे दुनिया मे तन्हा छोड़कर। बोलो मिट गयी है यादे या भुलाने की कोशिश मे लगे हो तुम, क्या?अब भी न मनोगे कि कितना ज्यादा बदल गये हो तुम। रचनाकार:- अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'