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Showing posts from November, 2020

खुद को ही बदल डालों

शीर्षक:- 'खुद को ही बदल डालों'  अगर बदलना ही चाहते हो कुछ तो खुद ही बदल डालों,  उतार दो चादर अहम की जैसे हो वैसे ही नजर आओ।  बहुत दिखावा हो गया अब असलियत ही दिखाओं,  कब तलक चलेगा फरेब अब उम्र रहते ही संभल जाओ।  किस- किस से तुम अपनी असलियत छिपा पाओगे,  हर आँख तुम पर लगी है अब असंभव है कि बच पाओगे।  समय से समय पर यह बात तुम भी समझ जाओगे,  कोई नही यहाँ अपना यह सच एक दिन जान जाओगे।  तुम ही हो सबसे बेहतर यह गलतफहमी अब न पालो,  अगर बदलना ही चाहते हो कुछ तो खुद को ही बदल डालों।।  रचनाकार:- अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'

शून्य

कर्त्तव्य शून्य पर भी अधिकार सबको चाहिये।  षड़यंत्र से ही सही पर आराम मिलना चाहिये।।

अमर शहीद पण्डित राजनारायण मिश्र

शीर्षक:- 'अमर शहीद पण्डित राजनारायण मिश्र 'आजादी की लड़ाई के लिये मुझे केवल दस देशभक्त चाहिये जो त्यागी हो और देश की खातिर अपनी जान की बाज़ी लगा दे। मुझे कई सौ आदमी नही चाहिये जो बड़बोले और अवसरवादी हो। अंग्रेजो के विरुद्ध इसी भावना से क्रांति का बिगुल श्री राजनारायण मिश्र जी ने फूंका। महान क्रांतिकारी श्री राजनारायण मिश्र जी का जन्म उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी के भीषमपुर गाँव में संवत 1976 के माघ महीने की पंचमी को हुआ था। इनके पिता पंडित बलदेव प्रसाद और माता तुलसा देवी थी।  राजनारायण मिश्र निर्भीक, चिंतनशील और बचपन से ही क्रांतिकारियों व महापुरुषों की कहानियाँ सुनने के शौकीन थे। इनका गाँव कठिना नदी के किनारे स्थित था और यहाँ के लोगों का जीवन भी नदी के नाम जैसा कठिन था। उन्होनें बड़े होकर जाना कि यह दयनीय स्थिति सिर्फ उनके गाँव की ही नही अपितु पूरे देश की है। जिसका प्रमुख कारण अंग्रेजी साम्राज्य है। फ़िर क्या था वह भी अंग्रेजों के खिलाफ़ लड़ाई में कूद पड़े। राजनारायण मिश्र ने खुद को चौदह नियमों व तीन प्रतिज्ञाओं से बांध रखा था। इन्होनें चालीस साथियों के साथ मिलकर अंग्रेज विरोधी व