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Showing posts from January, 2019

हम स्कूल चलेंगे

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हम स्कूल चलेगे जहाँ हम खूब पढेंगे, सीखेगे अच्छी बाते और पायेंगे ज्ञान,  पढ़ लिखकर हम बनेंगे अच्छे और महान,  हाँ,हम स्कूल चलेंगे जहाँ हम खूब पढेंगे। प्रार्थना सभा मे मिल गाएंगे राष्ट्रीय गान,  सबको बतायेंगे कि है मेरा भारत देश महान,  हाँ,हम स्कूल चलेगे जहाँ हम खूब पढेंगे।  पढेंगे हिन्दी,अंग्रेजी,संस्कृत और विज्ञान, पायेंगे गुरूजन से गणित का सारा ज्ञान,  हाँ,हम स्कूल चलेंगे जहाँ हम खूब पढ़ेगे। हम प्रेम और भाईचारा से रहना सीखेंगे,  भूल से भी आपस मे न हम कभी लडेंगे,  हाँ,हम स्कूल चलेगे जहाँ हम खूब पढेंगे।  हाँ,हम स्कूल चलेंगे जहाँ हम खूब पढेंगे।।  रचनाकार:-  *अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'*

फिर कमा लेना

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'अगर जिन्दगी मे अपना साथी लाचार हो जाये, तो अवश्य ही मन मे ये विचार आ जाये।  जिसने कभी साथ दिया है हमसफर बनकर,  मुसीबत मे न छोड़ना उसे तुम स्वार्थी बनकर।  आयी है आफत तो एक दिन टल जायेगी,  बिखरी हुई जिन्दगी फिर से सम्हल जायेगी।  आज दर्द उसे है तो मरहम तुम बन जाओ,  थोड़ा उसके हिस्से का बोझ तुम भी उठाओ।  चलेगा फिर वह जमीन पर ठोकरे मारकर,  फिर तुम्हे देगा वह ढेर सारे पैसे कमाकर।  चार पैसे मिलकर तुम फिर से कमा लेना, तुम किसी तरह इस बेजुबान को बचा लेना।।

सावित्रीबाई फुले

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"प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले ने नारी शिक्षा की अलख जगाई, खोल कई विद्यालय बालिकाओं की अज्ञानता मिटाई।  कड़ी मेहनत करो,अच्छे से पढाई करो और अच्छा काम करो,  सभी विद्यार्थियों को यह अच्छी बात ठीक से थी समझाई। छूआछूत,सती प्रथा व बाल विवाह के खिलाफ़ आवाज़ उठायी, रूढ़वादियों का कर अन्त महान समाजसेविका कहलाई।  प्लेग रोगियों के इलाज़ हेतु अस्पताल भी खुलवाया,  किसान शिक्षा हेतु रात्रि कक्षाओं को भी चलवाया।  अपने काव्य प्रेम से मराठी की आदि कवयित्री कहलाई।  नारियों का कर उत्थान आप महान मुक्तिदात्री कहलाई।"

परलोक का सफ़र

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जिन्दगी की डगर मे पल भर का भरोसा है ही नही, हम उम्र भर जीते जिसे वो जिन्दगी तो सच भी नही। धड़कनो का सिलसिला आशाओं का दीप जलाए रखता है,  हम जिएंगे चिर,अनन्त तक ये भ्रम बनाये रखता है।  इन्सान अकेले ही सफर जिन्दगी का अपनी तय करता है,  पहाड़ सी जिन्दगी का हर सुख दुख का पड़ाव पार करता है। घर,परिवार,मित्र,रिश्तेदार सब जरूरी है जिन्दगी मे मगर,  पर कोई साथ नही देता यदि भूले से आ जाये गरीबी अगर।  साथ सब छोड़ देते है और अपने भी मुह मोड़ लेते है।  जिन्दगी जीने की खातिर तब नया रास्ता खोज लेते है,  मुसीबत पडते पर गरीब के बूढ़े कन्धे भी बोझ ढो लेते है।  गरीब को जमाने ने तो मारी थी बहुत सी ठोकरे पर, और कुदरत ने भी ठण्ड मे उसकी नब्ज को थाम दिया।  बिन अलाव जिन्दगी मे जिसने कई ठंडी रातो को काट दिया,  आज सवारी के इंतजार ने उसे परलोक का सफ़र करा दिया।।