फिर कमा लेना

'अगर जिन्दगी मे अपना साथी लाचार हो जाये,
तो अवश्य ही मन मे ये विचार आ जाये। 
जिसने कभी साथ दिया है हमसफर बनकर, 
मुसीबत मे न छोड़ना उसे तुम स्वार्थी बनकर। 
आयी है आफत तो एक दिन टल जायेगी, 
बिखरी हुई जिन्दगी फिर से सम्हल जायेगी। 
आज दर्द उसे है तो मरहम तुम बन जाओ, 
थोड़ा उसके हिस्से का बोझ तुम भी उठाओ। 
चलेगा फिर वह जमीन पर ठोकरे मारकर, 
फिर तुम्हे देगा वह ढेर सारे पैसे कमाकर। 
चार पैसे मिलकर तुम फिर से कमा लेना,
तुम किसी तरह इस बेजुबान को बचा लेना।।

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