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Showing posts from March, 2021

अनदेखा न करे

लेख:- अनदेखा न करे  आजकल सोशल नेटवर्किंग के जमाने मे अचानक से हमारे मोबाइल स्क्रीन पर मैसेज डिस्प्ले होता है। जिसमे लिखा होता है यह ग्यारह लोगो को फॉरवर्ड करे तो आपके बिगड़े काम बन जायेगे, दुवाएं कबूल होगी, मन्नत पूरी हो जायेगी। इनमे इसके अतिरिक्त बाकायदा ये धमकी और डर भी दिखाया जाता है कि यदि आप यह वीडियो या संदेश अग्रसारित नही करते है तो आपका अहित हो जायेगा। हम लोग भी बड़े सयाने है, हम भी बिना देखे और सोचे समझे इसे अग्रसारित कर देते है। ऐसा करते वक्त अधिकतर लोग उन ग्यारह लोगो को चुनते है जिनसे कम बात होती है या दूर की जान पहचान होती है। हम यह सब डर की वजह से करते है कि वास्तव मे हम यह सोचते है कि ऐसा न करने से हमारी मनोकामना पूर्ण नही होगी अथवा हमारा अहित हो जायेगा? यह एक ज्वल्लंत प्रश्न है। इतना ही नही इन संदेशों और वीडियो मे आपको कसम भी खिलायी जाती है कि यदि आप अपनी माँ या परिवार से प्रेम करते है तो जल्द ही संदेश फॉरवर्ड करे। हम इतने मूर्ख है या बुद्धिजीवी है जो हम ऐसा करते है और दूसरो के पास ऐसे संदेश भेजकर उन्हे भी ऐसा करने को मजबूर या प्रेरित करते है। ऐसा नही है कि यह सब सोशल मीडि

कोई कह दो

शीर्षक:- 'कोई कह दो'  कोई कह दो उनसे कि ख्याल रखे अपना,  अकेले मे यूं ही मायूस नही हुआ करते।  जप कर अतीत की माला क्या मिलेगा बोलो,  खुद को हर पल यूं परेशान नही करते।  दूरी बढ़ी है पर खुद पर तो यह एतबार रखो,  जो है तुम्हारा उस पर यूं शक नही करते।  मिलना- मिलाना कम हो गया तो क्या हुआ,  अब तुम अपनी धड़कन पर विश्वास नही करते।  दौड़कर आ जायेंगे हम तुम्हारी बाँहों मे,  अब क्या अपनी आवाज पर भरोसा नही करते।  खुश रहो तुम हर पल जीवन को जी भर जियो,  अतीत था,वर्तमान है तो भविष्य का क्यों वरण नही करते।  कोई कह दो उनसे कि ख्याल रखे अपना।  अकेले मे यूं ही मायूस नही हुआ करते।।  रचनाकार:- अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'

लिख दूँ हकीकत

शीर्षक:- 'लिख दूँ हकीकत'  'लिख दूँ हकीकत तो सारे अर्थ और आयाम बदल जायेगे,  गूढ़ शब्दों की अविरलता से भी सारे पट खुल जायेगे।  खुद को खुदा समझते है जो इस दौर मे सारे जमाने का,  हम महफ़िल मे आ गये तो शोहरत के पैमाने झलक जायेगे।  कह दो उनसे कि वो अब अपने किरदार मे ही रहे,  बिगड़ गये जो तेवर तो वो इतिहास मे बदल जायेगे।  स्याही की कालिमा भी सब कुछ उजागर करती है,  हुयी जो चूक तो कारनामें अखबार मे छप जायेगे।  मैं न मंजिल हूँ और न ही अनन्त और असीम रास्ता,  किन्तु जो साथ चले तो खुद के कदम भी भूल जाओगे।  सब्र से खुद की हकीकत को समझने का प्रयास करो,  खुद ही खुद से खुद के कामों पर अनन्त विश्वास रखो।  मंजिल मिलेगी किन्तु छद्मवेश का तुम तिरस्कार कर दो,  अन्यथा तुम्हारे जीवन के सारे उद्देश्य निरर्थक हो जायेगे।  लिख दूँ हकीकत तो सारे अर्थ और आयाम बदल जायेगे।।' रचनाकार:- अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'