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Showing posts from June, 2021

सत्य व शाश्वत त्रिभुवन सरकार

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शीर्षक: त्रिभुवन सरकार  शीर्षक: सत्य व शाश्वत त्रिभुवन सरकार  हमने अपने प्रजातांत्रिक भारत देश मे अनेक बार सरकार बनती और बिगड़ती देखी है। देश, प्रदेश और पूरी दुनिया मे सुव्यवस्थित रूप से जन कल्याण,विकास,सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा को प्राथमिकता देते हुये विकास पथ पर सुचारू रूप से बढ़ने के लिये सरकार का गठन किया जाता है।बहुमत प्राप्त दल को संवैधानिक आधार पर सरकार बनाने का अवसर दिया जाता है। सरकार लगभग पाँच वर्ष के बाद चुनाव उपरांत पुन: परिवर्तित होने की संभावना होती है। सरकार का चुनाव जनता द्वारा मतदान के आधार पर किया जाता है। मतदाता ही अगली सरकार का निर्धारण करने वाले भाग्य विधाता होते है। इस लोक मे सरकार तो आती जाती रहेगी किन्तु तीनो लोको की सरकार स्थायी और कल्याणकारी है। जो सरकार प्रभु श्रीराम की अनुकम्पा पर चलती है।  "दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा॥ सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥"  वेद,पुराण,उपनिषद और साधु-संतों के माध्यम से उस अलौकिक शक्ति का गुणगान हम बचपन से सुनते आये है। प्रभु की लीला अपरंपार है। उसकी व्याख्या कर

जनसेवा को आतुर

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आलेख :- ' जनसेवा को आतुर '  आजकल समाचार पत्रों, सोशल मीडिया व विभिन्न संचार माध्यमों से हमें देश व प्रदेश की सरकार व अन्य पल- पल की खबरे अद्यतन प्राप्त होती रहती है। इन दिनो नेताओं के दल -बदलने की खबरें बहुत ही प्राप्त हो रही है। भारत प्रजातांत्रिक देश है,जहाँ लगभग प्रत्येक पाँच साल मे विभिन्न पदों यथा सांसद व विधायक के चुनाव होते रहते है। इन चुनावों मे राजनैतिक दल मत प्राप्त करके जीत हासिल करने के लिये जनता से बहुत वादे भी करते है। सभी अपनी पार्टी को जिताने के लिये लोकलुभावन वादों का सहारा लेते है। सभी यह वादा करते है कि वह अपनी जनता के लिये रोजगार, रोटी,कपड़ा और मकान के साथ -साथ बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध करायेंगे। वह गरीबों की आवाज सदन तक ले जायेंगे और उनकी हर तकलीफ और दर्द को दूर करेंगे। आपको हास्यास्पद प्रतीत होगा किन्तु आज तक मेरी समझ मे यह नही आया कि ये नेता गरीबों की लड़ाई लड़ते-लड़ते खुद कैसे अमीर बन जाते है।  इनकी जनसेवा की आतुरता की तो बात ही न करिये साहब! जब इन नेताओं को लगता है कि इनकी पार्टी इस बार के चुनाव मे जीत हासिल नही कर पायेगी तो ये जयचन्दवादी दल- बदलकर अपन

राम भरोसे

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आलेख:- 'राम भरोसे' हम बचपन से ही कई बातें,मुहावरे और शब्द सुनते और बोलते हुये बड़े होते है। कुछ समय बाद कोई ऐसी बात हमारे सामने आ जाती है जिसे कालांतर मे हम भूल चुके होते है। ऐसा अभी मेरे साथ भी हुआ, जब एक दिन मैने समाचार पत्र मे हैडलाईन पढ़ी कि ' सरकार की स्वास्थ्य सेवायें राम भरोसे।' तब मुझे अचानक से अपने बचपन के दिन याद आये। जब मै जूनियर कक्षाओं मे अध्ययनरत था, तब परीक्षाओं के उपरांत जब हम सब साथी किसी विषय के प्रश्न पत्र की परीक्षा के बारे मे बात करते थे तो आपस मे एक- दूसरे से कहते थे कि पेपर तो कर आये अब अच्छे अंक मिलना और पास होना 'राम भरोसे' ही है। आज समाचार पत्र मे पढ़ने के बाद यह 'राम भरोसे' की बात पुन: मानस पटल पर जीवन्त हो गयी। 'राम भरोसे' का शायद यह अर्थ है कि आपके पास जो भी है आप उससे ही संतुष्ट रहो। जब आप उससे ज्यादा किसी चीज़,मेहनत या प्रयास की आवश्कता ही नही समझते। जब यह भावना आ जाये जो होगा ठीक होगा या जो भी होगा देखा जायेगा। रामभरोसे को परिणामों के प्रति निडर, लापरवाह या अटूट विश्वास के रूप मे भी परिभाषित किया जा सकता है। यदि राम भर