जनसेवा को आतुर

आलेख :- ' जनसेवा को आतुर ' 




आजकल समाचार पत्रों, सोशल मीडिया व विभिन्न संचार माध्यमों से हमें देश व प्रदेश की सरकार व अन्य पल- पल की खबरे अद्यतन प्राप्त होती रहती है। इन दिनो नेताओं के दल -बदलने की खबरें बहुत ही प्राप्त हो रही है। भारत प्रजातांत्रिक देश है,जहाँ लगभग प्रत्येक पाँच साल मे विभिन्न पदों यथा सांसद व विधायक के चुनाव होते रहते है। इन चुनावों मे राजनैतिक दल मत प्राप्त करके जीत हासिल करने के लिये जनता से बहुत वादे भी करते है। सभी अपनी पार्टी को जिताने के लिये लोकलुभावन वादों का सहारा लेते है। सभी यह वादा करते है कि वह अपनी जनता के लिये रोजगार, रोटी,कपड़ा और मकान के साथ -साथ बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध करायेंगे। वह गरीबों की आवाज सदन तक ले जायेंगे और उनकी हर तकलीफ और दर्द को दूर करेंगे। आपको हास्यास्पद प्रतीत होगा किन्तु आज तक मेरी समझ मे यह नही आया कि ये नेता गरीबों की लड़ाई लड़ते-लड़ते खुद कैसे अमीर बन जाते है। 

इनकी जनसेवा की आतुरता की तो बात ही न करिये साहब! जब इन नेताओं को लगता है कि इनकी पार्टी इस बार के चुनाव मे जीत हासिल नही कर पायेगी तो ये जयचन्दवादी दल- बदलकर अपने स्वार्थ सिद्धि मे लग जाते है। यदि इनसे कोई इस बात पर प्रश्न कर ले तब ये जवाब मे कहते है कि ऐसा मैनें अपने लोगो की सेवा करने के लिये किया। कुछ ढीठ कहते है कि राजनीति तो व्यक्तिगत होती है, मै जिस पार्टी मे चाहूँ जा सकता हूँ। कार्यकर्ताओं को ऐसे लोगो को स्वीकार ही नही करना चाहिये। जो नेता अपनी पार्टी और अपने कार्यकर्ताओं का न हुआ वह आपका सगा कैसे हो सकता है। किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता क्या इन पैरासूट टाइप नेताओं की चरण वन्दना हेतु ही है। ऐसे दल- बदलू नेताओं को चुनाव मे अवश्य ही उनकी वास्तविक स्थिति का आकलन कराना चाहिये। 

सत्ता का लालच और स्वार्थ सिद्धि ही ऐसे नेताओं का परम ध्येय होता है और जनता की सेवा का स्वांग ही इनका अचूक अस्त्र होता है।देश और जनता की सेवा करने वाला ही सच्चा जनसेवक होता है। जनसेवा और समाजसेवा हेतु किसी भी पद की आवश्यकता नही होती। पोस्टर पर कर्मठ, ईमानदार और आपका अपना साथी छपवा देने भर से कोई सच्चा प्रतिनिधि नही बन जाता। जनता को भी अब समझदारी दिखाने की जरुरत है। जनता को शत -प्रतिशत मतदान करना चाहिये क्योंकि ऐसा न करने से कभी -कभी अयोग्य व्यक्ति भी चुनाव मे जीत हासिल कर लेते है। 

जनता मतदान करते समय पार्टी को प्रमुखता न दे अपितु अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों मे से शासन सत्ता उसके हाथों मे सौपे,जो आपकी दृष्टि मे और आपके पैमाने पर खरा उतरे। अच्छा प्रतिनिधि चुनने मे अपने विवेक का प्रयोग करे। जाति,बिरादरी,व्यक्ति विशेष के प्रभाव और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर और निजी स्वार्थ का त्याग करते हुये योग्य व स्वच्छ छवि के उम्मीदवार के पक्ष मे मतदान करे। जब आप अच्छे प्रतिनिधि चुनेगे तभी देश, प्रदेश और क्षेत्र का चहुमुखीँ विकास सम्भव है। 

लेखक:- 
अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर' 
उत्तर प्रदेश

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