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Showing posts from February, 2019

इल्जाम न देना

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"जो मेरी हर बात मे वाह!वाह! किया करते थे, मेरे हर किस्से को अलग अंदाज कहा करते थे।  अब कहते है कि आपका लहजा ठीक नही है,  मेरे मन मे आपके लिए कुछ भी शेष नही है।  जिन्दगी कैसे जी जाती है ये मै जान गया हूं,  अपनो से मै दुनियादारी सब कुछ सीख गया हूं।  आप भी बदलते समय के साथ-साथ बदल जाओ,  जिन्दगी जीनी है तो अब धोखा देना सीख जाओ।  ये प्यार के पक्षी सिर्फ ख्वाबो मे ही उड़ा करते है,  एक दूजे को देखकर खुश रहकर जिया करते है।  बदलते परिवेश ने सारा चमन उजाड़ दिया,  जो सिर्फ मेरा था उसे अनजाना बना दिया।  वो कहता है कि तुम मुझे अब कभी आवाज न देना,  मै तेरे बुलाने पर भी न आऊँ तो कोई इल्जाम न देना।।"  रचनाकार:- अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'

मै भी फौजी बनूँगा

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मै भी बड़ा होकर आप जैसा फौजी बनूँगा, पहन वर्दी माँ भारती का वन्दन करूंगा।  सीमा पर तान कर बन्दूक डटा रहूंगा,  देश की रक्षा बन प्रहरी करता रहूंगा।  शेर का बेटा हूं सबको ये दिखला दूंगा।  दुश्मन को पल भर मे ही धूल चटा दूंगा।  उनका नामोनिशान दुनिया से मिटा दूंगा,  सीमा पार भी जय हिन्द के नारे लगा दूंगा।  युद्घ मे मै अपना पूरा दम दिखला दूंगा,  तिरंगा दुश्मन की छाती पर फहरा दूंगा।  रचनाकार:- अभिषेक शुक्ला 

प्रश्न पूछता हूँ?

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प्रश्न पूछता हूँ क्या हम मिलकर कुछ जिम्मेदारी निभायेंगे? जो दिखे संदिग्ध उसकी पहचान पुलिस को हम बतायेंगे? अपने आस पास अब सबको पैनी नजर रखनी होगी, जो हो रहा घटित सब खोज खबर रखनी होगी। यूं ही नही किसी घटना को ये आतंकी अंजाम देते है, उससे पहले वो मिलकर बहुत से इन्तजाम करते है। देशद्रोहियों के घर ले पनाह वो हम मे संग रहते है, मौका पाकर फिर वो कायर नापाक गुनाह करते है। पुलवामा की घटना मे गाड़ी,बारूद क्या बाहर से आयी होगी? देश के गद्दारों ने ही सारी व्यवस्था करवायी होगी। दुश्मन को तो हमारे सैनिक सीमा पर धूल चटा देंगे, क्या हम भारतवासी मिल गद्दारों को मिट्टी मे मिला देंगे? *अभिषेक शुक्ला सीतापुर* जय जवान जय किसान जय हिन्द

प्रेम माह

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चुना था जो गुलाब सनम के लिए वो भी शर्माकर आज मुरझा सा गया, प्रेम से परिपूर्ण है यह फ़रवरी आज का दिन भी मायूसी मे ढल ही गया।  वह है मजबूर इतना एक बार हंसकर मुझसे कहते तो सही, बेकरार है दिल उनका भी यह बात वो कुबूल करते तो सही।  हमने अपने जज्बातो को किस कदर दिल मे दबा रखा है,  मन ही मन मैने तो उन्हे अपना सनम बना रखा है।  वो आ जाये मेरे सामने तो जी भर उनका दीदार मै कर लूँ,  सूरत पर उनकी टिका कर नजर दो चार बात मै कर लूँ।  थोड़ा सा करार मिल जायेगा मेरे बेकरार दिल को,  अगर भा गया तनिक भी मेरा दीवानापन उनको।  प्रेम के इस माह मे मेरे मन मन्दिर में तुम बस जाओ,  प्रेम बन्धन तोड़कर फिर कभी मुझसे दूर न जाओ।। रचनाकार:- अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'