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Showing posts from March, 2020

संस्कार

गूंगा नही हूँ मै.... मुझे भी बोलना आता  है। गुलाम हूँ अपने संस्कारों  का... वरना मुझे भी  सबक सिखाना आता है।।

एम.डी.एम.मेन्यू गीत

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प्रतिदिन समय से हम स्कूल है पढ़ने जाते, सोमवार को रोटी सब्जी और फल है खाते।  मंगलवार को सब्जी युक्त दाल चावल है भाता,  नित प्रति स्कूल मे हमे योग है सिखाया जाता।  बुधवार को दूध पीकर तहरी है हम खाते,  प्रार्थना सभा मे रोज सब राष्ट्रगान है गाते।  गुरुवार को मिलकर दाल रोटी है हम खाते,  गुरूजन नित हमे नया सबक है सिखाते।  सब्जी युक्त तहरी शुक्रवार को स्कूल में है बनती, पुस्तकालय से हमे किताबें पढ़ने को है मिलती।  शनिवार को सब्जी चावल हम है खाते,  फिर खेलकूद के लिये मैदान मे है जाते।। आग्रह:-शिक्षकगण इसे अपने विद्यालय की दीवार पर लिखवा सकते है। धन्यवाद।।

अब क्या

फूलो को क्या अब महकना सीखना पानी को क्या कब प्यासा रहना पंछी हूँ मै खुले आसमान का मुझे क्या अब उड़ना सीखना।।

कल्कि अवतार

कल्कि का धर अवतार प्रभुजी धरा पर आ जाओ। बढ़ गया है पाप आप आकर इसे मिटा जाओ।

हमदर्दी

हमदर्दी की चादर अब सुकुड़ सी गयी है। मानवता और दया अब कुछ कम पड़ गयी है।।

संताप

हुआ है मन मे संताप तो अब क्या फायदा? माँ बाप का दिल दुखाकर मिले गर खुशी…. तो उस खुशी का क्या फायदा???

तन्हा

समय पर सीख लो रिश्ते निभाने। वरना हो जाओगे बिल्कुल बीराने।।

हकीकत

सपने भी हकीकत मे बदल सकते है। छूटे हुये लोग फिर से मिल सकते है।। गर हौसला है और खुदा पर यकीन । तो रेगिस्तान मे भी फूल खिल सकते है।

श्रीराम

गुलशन तो तू है मेरा बहारों का मैं क्या करूँ नैनों मैं बस गए हो तुम श्रीराम नज़ारों का मैं क्या करूँ ..

शब्द अर्चना

मेरा कुछ भी लिखना…प्रभु जी तुम्हारी अर्चना का ही रूप  होता है… अपने शब्दों से तुम्हे पुकारना… तुम्हे याद करना होता है….

ड़र

डर कर आज तक क्या मिला है जमाने को। दाव पर सब लगाना पड़ता है कुछ अच्छा पाने को।

कोशिश

फ़ैसला हार जीत का तो समय तय करता है। कोशिश मे रह न जाये कसर यह हमे तय करना है।।

तिरस्कार

मिलने की वजह भी हम तो बेवजह ढूँढते है। उन्हें मिलना ही नही और हम बहाने ढूँढते है।

दुआ

दर्द है बहुत पर दर्द की वजह का पता नही। दवा चाहिये या दारु या दुआ होगी कबूल… अब यह भी पता नही।।

दोस्त

जो बर्दाश्त न कर पाये वो दोस्त कैसा। जो समझ न उनसे फिर रिश्ता कैसा।।