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Showing posts from October, 2018

मेरी मेहनत

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'मेरी मेहनत का सबूत माँगते है जमाने वाले, उन्हे न पता कैसे रहते है हम मजदूरी वाले। अपनी कड़ी मेहनत से चार पैसे कमाकर, पेट भरते है हम टपकती झोपड़ी वाले। जब भी ना टपके पसीना हमारे माथे से, उस दिन भूखे रहते है हम दिहाडी वाले। छोटे से बड़ा बन जाना होता नही है आसान, नसीब के खेल जानते है हम बदकिस्मत वाले। छालों मे छिपी लकीरों को कोई नही पढ़ता, ये दर्द जानता है या उसे हम सहने वाले।।' रचनाकार:- अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'

करवा चौथ #हास्य

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जिनको पड़े साल भर घूसे, उनकी भी अब पूजा होगी। हमेशा से तो है सुनते आये, कल जिल्लत थोड़ी कम होगी। अपनी उम्र बढवाने हेतु फिर अच्छे उपहार भी देना होगा। कुछ नए नवेले जोड़ो मे से, पत्नी करवा व्रत रखे इसलिये पति को भी भूखा रहना होगा। चांद निकलते ही उम्र बढ़ेगी, फिर जोरू कुछ भी ना सुनेगी। सब पतियो को ही सहना होगा, फिर साल भर चुप रहना होगा। #हास्य रस पर आधारित नोट:-दिल पर न ले।

प्राथमिक विद्यालय लदपुरा

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शीर्षक:-'प्राथमिक विद्यालय  लदपुरा' बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश ने, आर.टी.ई. ऐक्ट(2009) को अपनाया है। 6 से 14 आयु वर्ग तक के बच्चो को, नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार दिलाया है। पीलीभीत के अमरिया ब्लाक मे स्थित, प्राथमिक विद्यालय लदपुरा सबसे न्यारा है। इंचार्ज अध्यापक श्री अभिषेक कुमार शुक्ला जी ने, अपने कुशल नेतृत्व से विद्यालय परिवेश सुधारा है। टी.एल.एम,नवाचार का नित कर प्रयोग, नैतिक शिक्षा से बच्चों का भविष्य संवारा है। विद्यालय के सभी शिक्षको ने मिलकर, ग्रामीण क्षेत्र मे ज्ञान का दीप जलाया है। बच्चों को यह विद्यालय बहुत ही पसंद आया है। 'खूब पढ़े,आगे बढ़े' सबने यह मूलमंत्र अपनाया है।। #कुछ तारीफ़ अपनी भी😉

फैशन

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'बोलो अब यह कैसा जमाना आ गया है, पश्चिमी सभ्यता का पूरा नशा छा गया है। भूल बैठे है हम सब भारतीय परिधानों को, विदेशी कपडों का  इतना मज़ा आ गया है। दम्भ,ब्राण्ड और आधुनिकता के चक्कर मे, कैसा यह नग्नता का परिवेश आ गया है? फैशन करना बिल्कुल भी बुरी बात नही है, फिर भी दिखे अंग ये बात सही नही है। पहनने को चाहे पहन लो कुछ भी मगर, बचा रहे स्वाभिमान इतनी रखो फिकर। शालीनता से बढ़कर कोई गहना नही होता, उठे जो कोई सवाल यह सही नही होता।' नोट:-चित्र साभार फेसबुक

बोलती तस्वीर

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ऐसा नही है कि तस्वीर बोलती नही है, फर्क है इतना कि ये आवाज़ करती नही है। समझने वालो को तो हुजूर  इशारा काफी है, हर सवाल का जवाब तो यहाँ खुद ही हाजिर है। पसरा हुआ है सन्नाटा इन वादियों मे मगर, दो दिल मिल रहे है दुनिया से हो बेफिकर। रचनाकार:- अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'

रावण सबसे पूछ रहा है

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बचपन से देखा है हर साल रावण को जलाते हुये, सभी को बुराई पर अच्छाई की जीत बताते हुये। उस लंकेश को तो मर्यादा पुरुषोत्तम ने मारा था, प्रभु श्रीराम ने उसकी अच्छाईयों को भी जाना था। सभी इकट्ठे होते है रावण को जलाने के लिए, दुनिया से पूरी तरह बुराईयो को मिटाने के लिए। आज रावण खुद पूरी भीड़ से यह कह रहा है, तुम मे से कौन श्रीराम जैसा है यह पूछ रहा है? क्या तुम अपने अन्दर की बुराइयो को मिटा पाये हो ? क्या तुम सब तनिक भी खुद को श्रीराम सा बना पाये हो? यदि उत्तर नही है तो क्यो मुझे बुरा मानकर आते हो? तुम खुद भी हो बुरे तो क्यो मुझे हर साल जलाते हो ?

लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल

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'सिंह सा गर्जन और हृदय मे कोमल भाव रखते थे, वल्लभभाई पटेल जी से तो सारे दुश्मन डरते थे। बारदौली सत्याग्रह का सफल नेतृत्व आपने किया, 'सरदार' की उपाधि वहाँ की जनता ने आपको दिया। एकता को वास्तविक स्वरूप भी आपने ही दे डाला, रियासतों का एकीकरण भी पल भर मे कर डाला। प्रयास से आपने सारी समस्याओं को हल कर दिया, सबने आपको भारत का 'लौह पुरुष' था मान लिया। देश का मानचित्र विश्व पटल पर बदल कर रख दिया, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने कमाल कर दिया। 31अक्टूबर को हम सब भारतवासी 'राष्ट्रीय एकता दिवस' मनाते है, आपकी याद मे हम 'स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी' पर श्रद्धा सुमन चढ़ाते है।' रचनाकार:- अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर '

सच्चा इन्सान

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"इन्सान तो इन्सान है इन्सान तो इन्सान ठहरा, भाव है विचार है सुख-दुख से इसका नाता गहरा। कुछ ख्वाब है कुछ है आशायें सपनो का कुछ ताना बाना, दर-दर भटके जीवन खोजे नही कही है इसका ठिकाना। रिश्ते जोड़े उन्हे निभाये रूठो को वह खूब मनाये, तनिक खुशी मे जश्न मनाये घर सारे मेहमान बुलाये। जीवन की गाड़ी यह कभी रुके कभी चलती जाये, उलझन मे भी जो जीवन ढूढे वो सच्चा इन्सान कहाये।"

अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'

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सीतापुर के लाल ने बढ़ाया पूरे विश्व मे जिले का मान .... पिट्सबर्ग अमेरिका से प्रकाशित विश्व प्रसिद्ध  द्विभाषिक मासिक पत्रिका 'सेतु ' मे अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर' की काव्य रचना "आजादी के मतवाले" अगस्त माह के अंक मे पेज संख्या 33 पर प्रकाशित हुई है जो कि अत्यन्त ही गौरव की बात है। अभिषेक शुक्ला जी की मातृभूमि ग्राम बंडिया पोस्ट सआदतनगर जिला सीतापुर है।आप नवोदित साहित्यकार है।आपकी रचनाये अमर उजाला,काव्य सागर व अन्य कई समाचार पत्र व पत्रिकाओं मे प्रकाशित हो चुकी है।आपकी रचनाये युवा पाठको को अत्यधिक पसंद आती है।आपने अपने सहित्यिक योगदान से अपने जिले का मान बढ़ाया है।

नन्ही मॉडल

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               'बेफिक्र बचपन और जिन्दगी है न्यारी, थोड़ी शरारत और सावली सूरत है प्यारी। मम्मी की गुड़िया और पापा की दुलारी, रहती उनके दिल मे बनकर राजकुमारी। ख्वाहिशे हुई है पूरी चाहे जितनी हो गरीबी, भूल से भी माँ बाप ने न जाहिर की मजबूरी। जिन्दगी के बंजर रैम्प पर वह कैटवॉक करती, यह नन्ही सी मॉडल सबको है नि:शब्द करती।' रचनाकार:- अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर' नोट:-फोटो साभार फेसबुक