सब कहते है
"सत्तर प्रतिशत जनसंख्या है कृषि पर आधारित, फिर भी किसान हित के सब मुद्दे है विवादित। हर दल फ़सल कर्ज माफी का वादा कर रहा हैं, पर वास्तविकता के धरातल पर कुछ भी न दिख रहा है। फिर भी सब कहते है कि मेरा देश बदल रहा है।। किसान खाद,पानी और बीज की समस्या झेल रहा है, महंगे डीज़ल और मौसम की मार झेल रहा है। अपनी फ़सल का न उसे उचित दाम मिल रहा है, कर्ज में डूबा किसान निरन्तर फांसी लगा रहा है। फिर भी सब कहते है कि मेरा देश बदल रहा है।। देश मे गैर मुल्क के नारे लग रहे है, अब्दुल हमीद,चंद्रशेखर आजाद की धरा पर देशद्रोही पल रहे है। कश्मीर में जवानों पर पत्थर फैके जा रहे है, जो फैक रहे है वो माननीयों द्वारा बच्चे समझे जा रहे हैं। फिर भी सब कहते हैं कि मेरा देश बदल रहा है।। महिला सुरक्षा पर कई सवाल उठ रहे हैं, दहेज के लिए उनके जनाजे उठ रहे है। अब तो छोटी बच्चियो की भी अस्मत लूट रही है, अब तो कोई भी महिला न अपने को सुरक्षित समझ रही है। फिर भी सब कहते है कि मेरा देश बदल रहा है।।" अभिषेक शुक्ला सीतापुर मो.न.7007987300