अनदेखा न करे

लेख:- अनदेखा न करे 


आजकल सोशल नेटवर्किंग के जमाने मे अचानक से हमारे मोबाइल स्क्रीन पर मैसेज डिस्प्ले होता है। जिसमे लिखा होता है यह ग्यारह लोगो को फॉरवर्ड करे तो आपके बिगड़े काम बन जायेगे, दुवाएं कबूल होगी, मन्नत पूरी हो जायेगी। इनमे इसके अतिरिक्त बाकायदा ये धमकी और डर भी दिखाया जाता है कि यदि आप यह वीडियो या संदेश अग्रसारित नही करते है तो आपका अहित हो जायेगा। हम लोग भी बड़े सयाने है, हम भी बिना देखे और सोचे समझे इसे अग्रसारित कर देते है। ऐसा करते वक्त अधिकतर लोग उन ग्यारह लोगो को चुनते है जिनसे कम बात होती है या दूर की जान पहचान होती है। हम यह सब डर की वजह से करते है कि वास्तव मे हम यह सोचते है कि ऐसा न करने से हमारी मनोकामना पूर्ण नही होगी अथवा हमारा अहित हो जायेगा? यह एक ज्वल्लंत प्रश्न है। इतना ही नही इन संदेशों और वीडियो मे आपको कसम भी खिलायी जाती है कि यदि आप अपनी माँ या परिवार से प्रेम करते है तो जल्द ही संदेश फॉरवर्ड करे। हम इतने मूर्ख है या बुद्धिजीवी है जो हम ऐसा करते है और दूसरो के पास ऐसे संदेश भेजकर उन्हे भी ऐसा करने को मजबूर या प्रेरित करते है। ऐसा नही है कि यह सब सोशल मीडिया के जमाने मे प्रारंभ हुआ है। ऐसा पहले से होता आ रहा है। मैने बचपन मे देखा कि हमारे पड़ोस के गुप्ता जी के वहाँ एक गुमनाम चिट्ठी आ गयी। शायद जिसमे एक कहानी लिखी थी कि ऐसी ही चिट्ठी अमुक जनपद के शर्मा जी को मिली थी उन्हीने सौ लोगो को लिखकर भेजी तो उनकी मनोकामना पूर्ण हो गयी। अमुक स्थान के इस व्यक्ति ने ऐसा नही किया तो उसका ये नुकसान हो गया। यह पढ़कर गुप्ता जी के होश उड़ गये। गुप्ता जी भी सौ पोस्टकार्ड खरीद लाये, आगे क्या किया उन्होने आप समझ ही गये होगे। ऐसी मूर्खता हम आखिर कब तक करते रहेंगे? इतना ही नही आज भी इस तरह के नाग- नागिन, पीर बाबा, प्रधानमंत्री योजना के अन्तर्गत फ़्री मोबाइल, अमुक कंपनी का फ़्री डाटा, फ़्री टी- शर्ट और लकी ड्रा मे जीती कार, कैश और मोबाइल आदि के मैसेज आते रहते है। आप से कहा जाता है कि इसे दस वॉट्सएप्प ग्रुप मे शेयर करे तो आप बिना झिझक और लालच मे आकर कर भी देते है। अब यह सोचना जरूरी है कि ऐसे मैसेज और वीडियो सबसे पहले लिखता और बनाता कौन है? उनका ऐसा करने का उद्देश्य क्या होता है? परन्तु इन सब बातों से भी यह आवश्यक है कि हम उनका साथ क्यों देते है। इसका सिर्फ एक ही जवाब है कि हम स्वार्थ और लालच के वशीभूत होकर ऐसा करते है। हम पढ़े- लिखे और इक्कीसवीं सदी मे जी रहे लोग शायद इतने मूर्ख तो नही हो सकते फिर भी ऐसा करके हम अपनी मूर्खता को अवश्य ही साबित करते है। इन बातों को अनदेखा न करे क्योंकि इस संसार मे कोई भी कंपनी कुछ भी फ़्री मे नही देती और न ही संदेश भेजने या न भेजने से हित अथवा अहित होता है। इन दकियानूसी बातों, आडम्बरों और लालची प्रवृत्ति का तिरस्कार करते हुये, आप अपनी स्वस्थ्य मानसिकता का परिचय दे। खुद जिये और दूसरों को भी सुकून से जीने दे।
 
लेखक:- 
अभिषेक कुमार शुक्ला 
सीतापुर,उत्तर प्रदेश

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