इश्क़ के किस्से
प्यार,इश्क़,मोहब्बत और अफ़साने,
तो अमीरों के चोचले है,साहब!
हमें तो रोटी कमाने से ही फुरसत नही मिलती।
हम जुटे रहते है जिन्दगी की जद्दोजहद मे,साहब!
इसीलिये हमारी कोई मुमताज नही होती।
और गरीबों का इश्क़ भी पूरा कहाँ होता है,साहब!
क्योंकि हमारी ताजमहल बनाने की औकात नही होती।
हम मिट्टी मे जन्में है,मिट्टी मे पलते हैं और एक दिन मिट्टी मे ही मिल जायेगे।
हम जैसों के इश्क़ के किस्से भी कहाँ बनते है,साहब!!
रचनाकार:-
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