बावरी है वो
"थोड़ी बावरी थोड़ी सी सावरी है वो,
थोड़ी नटखट थोड़ी सी नकचढ़ी है वो।
गुड़िया जैसी सौम्य पर थोड़ी सी पागल वो,
मेरी ख्वाबों की दुनिया की सोन परी है वो।
लड़ती है पर मुझसे बहुत प्यार करती है वो,
उलझन मे भी सबका ख्याल रखती है वो।
नम हो आँखें फिर भी चेहरे पर मुस्कान रखती है वो,
दर्द हो कितना फिर भी कभी न जाहिर करती है वो।
मुझे पागल,दीवाना और न जाने क्या-क्या समझती है वो,
जिन्दगी है मेरी और मेरे दिल की हर धड़कन मे बसती है वो।"
रचनाकार:-
अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'
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