खुद को ही बदल डालों
शीर्षक:- 'खुद को ही बदल डालों'
अगर बदलना ही चाहते हो कुछ तो खुद ही बदल डालों,
उतार दो चादर अहम की जैसे हो वैसे ही नजर आओ।
बहुत दिखावा हो गया अब असलियत ही दिखाओं,
कब तलक चलेगा फरेब अब उम्र रहते ही संभल जाओ।
किस- किस से तुम अपनी असलियत छिपा पाओगे,
हर आँख तुम पर लगी है अब असंभव है कि बच पाओगे।
समय से समय पर यह बात तुम भी समझ जाओगे,
कोई नही यहाँ अपना यह सच एक दिन जान जाओगे।
तुम ही हो सबसे बेहतर यह गलतफहमी अब न पालो,
अगर बदलना ही चाहते हो कुछ तो खुद को ही बदल डालों।।
रचनाकार:-
अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'
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