लगुकथा:मिनी पैट्रोल पम्प
समर अपनी नयी बाइक से फर्राटे भरते हुये घर से निकला।वह अपनी किराने की दुकान का सामान लेने लालपुर जा रहा था।रास्ते मे उसकी बाइक का पैट्रोल खत्म हो गया।वहाँ कोई पैट्रोल पम्प नही था।पूछने पर पता चला कि यही धरमपुर मे गुप्ता जी के वहाँ पैट्रोल मिल जाता है। फिर क्या था?समर अपनी बाइक घसीटता हुआ पहुँचा और आवाज लगायी,गुप्ता जी!पैट्रोल दे देना। तभी गुप्ता जी की लड़की मिनी आयी और समर से बोली,पिता जी घर पर नही है?आपको कितना पैट्रोल चाहिये? मिनी बहुत ही सुन्दर व आकर्षक थी।समर उसे निहारता ही रह गया।उसकी सांवरी सूरत देखकर वह सब कुछ भूल सा गया।और अचानक पूँछ बैठा,क्या नाम है आपका?क्या करती हो? मिनी ने कहा पैट्रोल कितना लेगे? समर बोला,दो लीटर दे दीजिये। मिनी आयी और पैट्रोल बाइक मे डालकर चल दी। समर ने कहा,मैने आपसे कुछ पूछा था?मिनी ने कहा,मै मिनी हूँ और सिविल एग्ज़ाम की तैयारी कर रही हूँ।समर ने भी अपना परिचय दिया और चल दिया। समय बीतता रहा और समर जानबूझकर गुप्ता जी के वहाँ पैट्रोल लेने जाता रहा ताकि वह मिनी को देख सके। समर हर पल मिनी के ख्वाबों मे ही खोया रहता था।लेकिन वह अपने प्यार का इज़हार करने से डरत...