जुगनू

गरीब की कब्र पर कहाँ कब दीप जलते है,
रेगिस्तान मे आसानी से कहाँ फूल खिलते है।

चांद-तारो की ख्वाहिश तो महल वाले रखते है,

हम जुगनू है अपनी फिज़ाओ के....हम तो खुद से ही खुद को रोशन रखते है।।

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