राजा टोडरमल

लेख:- ' राजस्व विभाग के जनक राजा टोडरमल ' 


 इतिहास की पुस्तक अपने आप मे बहुत कुछ समेटे हुये है। इसमे ज्ञान और तिथियों पर अंकित पराक्रम,शौर्यगाथा के अतिरिक्त कुछ ऐसे बुद्धिजीवी,मनीषी और नवोन्मेशी पुरोधा भी है, जिनके प्रयास,प्रयोगों और खोज ने हमारे वर्तमान को उनके अतीत से जोड़ते हुये, मानव जीवन को एक नयी दिशा दी। भारत मे कई ऐतिहासिक स्थल है जो अतुलनीय है। 

उत्तर प्रदेश का जनपद सीतापुर भी उस क्रम मे अपना शीर्ष स्थान स्थापित किये हुये है। यहाँ पर जन्में लोगों ने अपने कर्म और शौर्य से अपने साथ अपनी जन्मभूमि सीतापुर का नाम भी पूरे विश्व पटल पर स्वर्ण अक्षरों मे अंकित कर दिया। राजा टोडरमल इस कड़ी मे अपना शीर्ष स्थान रखते है। 

 राजा टोडरमल एक योद्धा, एक योग्य प्रशासक और एक अनुकरणीय वित्त मंत्री थे। राजा टोडरमल को भू राजस्व (राजस्व विभाग) का जनक माना है। इन्हे टकसाल प्रबंधन मे महारथ हासिल थी। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के जनपद सीतापुर की तहसील लहरपुर स्थित तारापुर नामक ग्राम मे सन 1500 मे हुआ था।टोडरमल खत्री जाति के थे और उनका वास्तविक नाम 'अल्ल टण्डन' था। 

ये अकबर के नवरत्नों मे से एक थे। इनके जन्म के कुछ समय बाद ही इनके पिता की मृत्यु हो गयी थी। इन्होने व्यवसायिक जीवन मुनीम के रूप मे प्रारम्भ किया था। इनकी कार्यकुशलता को देखते हुये,शेरशाह सूरी ने इन्हे अपना राजस्व मंत्री बनाया था। पेशावर से कलकत्ता तक 2500 किलोमीटर सड़क तैयार कराने में टोडरमल की अहम भूमिका रही। शेरशाह सूरी ने इस सड़क का नाम सहर-राह-ए-आजम रखा और 300 साल तक यही नाम चला और 1840 के आसपास अंग्रेजों ने इसका नाम जीटी रोड रख दिया।  
अकबर ने सम्मान देते हुये इन्हे अपने नवरत्नों मे शामिल किया। राजा टोडरमल ने राजस्व को एक नयी प्रणाली प्रदान की। उन्होंने अकबर की टकसाल का प्रबंधन भी किया। 

इन्होने मुगल शासनकाल में पहली बार जमीन की नाप की इकाई गज का आविष्कार किया था। अकबर के आदेशोंपरान्त, टोडरमल ने प्रयागराज में अपने लिए एक किला भी बनवाया था जो आज भी दारागंज मुहल्ले में गंगा नदी के किनारे स्थित है। हालांकि मोती महल नाम के इस किले का अधिकांश भाग वर्तमान में जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। इस महल में छह द्वार थे, जिसे 1857 की जंग में अंग्रेजों ने पांच द्वार को काफी नष्ट कर दिया था। इसे दर्शकों के लिए 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस पर खोला जाता है। 

राजा टोडरमल उच्च कोटि के कवि, लेखक और अनुवादक भी थे। इन्होनें भागवत पुराण का फारसी में अनुवाद किया था। प्रसिद्ध विद्वान राजा टोडरमल ने अपने ग्रंथ ‘मोक्षमार्ग’ के लिए दिन-रात एक कर दिया था। पूरा ध्यान पठन-पाठन और लेखन पर केंद्रित कर लिया था। ये ब्रजभाषा में कविता भी रचते थे। इन पंक्तियों के माध्यम से इनकी कविता का आनन्द आप भी लीजिये:- 

"जार को बिचार कहा गनिका को लाज कहा, 
गदहा को पान कहा आँधरे को आरसी। 
निगुनी को गुन कहा दान कहा दारिदी को, 
सेवा कहा सूम को अरँडन की डार सी। मदपी की सुचि कहा साँच कहा लम्पट को, 
 नीच को बचन कहा स्यार की पुकार सी। 
टोडर सुकवि ऐेसे हठी ते न टारे टरे, भावै कहो सूधी बात भावै कहो फारसी।" 


राजा टोडरमल की मृत्यु सन 1589 मे लाहौर मे हो गयी। उनके शरीर का हिंदू परंपराओं के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया।  
उत्तर प्रदेश के जनपद हरदोई मे इनके नाम पर राजा टोडरमल भूलेख प्रशिक्षण संस्थान बनाया गया है। जहाँ पर आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, पीपीएस के अलावा राजस्व कर्मियों को भूलेख संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। 
राजा टोडरमल ने खेतिहर भूमि की पैमाइश के लिए जरीब के जरिये पैमाइश की नींव डाली,वह आज भी राजस्व रिकार्ड में प्रचलित एवं उपयोगी है। 


लेखक:- 
अभिषेक शुक्ला 
सीतापुर,उत्तर प्रदेश

Comments

Popular posts from this blog

विश्वासघाती

अभागिन माँ की वेदना#justice 4 twinkle

बेशर्म आदमी