पता न था
कुछ अरमान लेकर घर से निकल पड़े,
पर कैसी है जिन्दगी कुछ यह पता न था।
सफ़र मे मिले वो और दिल मे बस गये,
वही हो जायेंगे जुदा मुझसे यह पता न था।
उन्होनें न ली खबर कि कैसा हूँ आजकल,
वो हो जायेंगे इतने बेखबर यह पता न था।
उनकी याद मे ही खोये रहते है हम हर पल,
वो इस कदर भूल जायेंगे मुझको यह पता न था।
दुआ है कि उनको मिले सारे जहां की खुशियाँ,
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