आओ कभी
कभी आओं फुर्सत मे सब मिलजुलकर एक साथ बैठे,
कुछ तुम कहो अपनी और कुछ हाल हम भी पूछे।
इस जिन्दगी की आपाधापी मे हम खुद को ही भूल गये,
न जाने कितने रिश्ते-नाते हमसे पीछे छूट गये।
सबका जीवन है विपरीत परिस्थितियों से भरा हुआ,
हर इन्सान है रोजी-रोटी के चक्कर मे ही पड़ा हुआ।
ये तो सब चलता आया है और आगे भी चलता जायेगा,
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