सत्ता

वक्त रहते सही कर लो इन बिखरे मुद्दों को, 
कही किसान बन्दूकें न बो दे अपने खेतों मे। 
जब भी सत्ता का सिंघासन नशे मे चूर होता है, 
उसे जगाने फिर से कोई भगत सिंह आता है। 

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