मैं प्रतिमा हूँ

शीर्षक:- मै प्रतिमा हूँ  
सरल,सौम्य,निश्चल और अनन्त प्रेम की धार हूँ, 
संशय,भय और अन्धकार में तीक्ष्ण तलवार हूँ। 
दया और ममता की जीती जागती प्रतिमा हूँ, 
सृष्टि के प्रारंभ और अनन्त की अविरल कविता हूँ। परिवार,समाज और देश की सच्ची पतवार हूँ, 
मैं नारी हूँ इस ब्रम्हाण्ड का सच्चा श्रृंगार हूँ। 
मैं पीर का पर्वत और सुखों का संसार हूँ, 
मैं इस सम्पूर्ण संसार की सच्ची खेवनहार हूँ। 
मैं हूँ उमा तो मैं ही काली का अवतार हूँ। 
मैं नारी हूँ, मैं जीवन की सच्ची पतवार हूँ। 

रचनाकार: 
अभिषेक कुमार शुक्ला 
सीतापुर,उत्तर प्रदेश

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