क्या कहता दोस्तो!
मरहम का फितूर मत पालो,घाव तो यूं ही मिलते रहेगे,
मुशाफिर हो गिरोगे,उठोगे और सफ़र यूं ही कटते रहेगे।
जिसको बसाया है तुमने अपनी दिल की धड़कनो मे,
वो वक़्त बे वक़्त तुम्हे यूं ही जरा जरा सा दर्द देते रहेंगे।
जो कभी उनसे तनिक भूले से भी कोई शिकायत कर दी,
यकीन मानो वो कहेगे कि तुमने बड़ी बेवफाई कर दी।
दिल मे बसने वालो की भी फितरत अजीब होती है,
घाव नये देते है जहाँ वो सिर्फ उनकी ही जगह होती है।
समझाने को बहुत कुछ समझाया जा सकता था,दोस्तो!
सजाकर किसी और का नाम वो सामने से गुजरा था,दोस्तो!!
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