हौसला

'बिन मेहनत के रोटी नही मिलती,गरीब के घर मे खुशियाँ नही सजती।
हौसलों के पंख से उड़ान कितनी भी भर लो,पर पेट की भूख नही मिटती। 
फौलादी इरादों से साँसो का दामन थाम रखा है,वरना यहाँ मौत भी आसान नही मिलती। 
सुना है सारा संसार रंगोत्सव मना रहा है,पर यहाँ कोरी किस्मते कहाँ रंगती। 
जद्दोजहद है जिन्दगी मे कि किसी दिन सुकून मिलेगा,उसी दिन सतरंगी यह चेहरा भी सजेगा। 
मजबूरी मे मजदूरी कर मजबूरी से निपटते है,हम गरीब होली पर भी पसीने से ही रंगते है।' 

रचनाकार:- 
अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'

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