कारवां बन जायेगा

ठोकरे खाकर भी जो न सम्हले वो मुसाफिर कैसा? 
मंजिले न हो हासिल तो फिर उसका जूनून कैसा? 
दुनिया की तस्वीर न बदल सको तो कोई बात नही, 
तुम अपनी तकदीर न बदल सको तो ये बात न सही। 
मुमकिन है जो तुम्हे सही लगे वो रास्ता तो गलत हो सकता है, मजबूत इरादे हो पर मंजिल न मिले ये नामुमकिन सा लगता है। खुद पर है जो भरोसा तो अच्छा सा कारवां भी बन जायेगा, 
चलते हुये सफ़र मे खुशियों का गुलिस्ता भी मिल जायेगा।

Comments

Popular posts from this blog

विश्वासघाती

अभागिन माँ की वेदना#justice 4 twinkle

बेशर्म आदमी