नई शिक्षा नीति 2020

शीर्षक:- 'नई शिक्षा नीति दूरदर्शिता व दृढ़ संकल्प आधारित' भारत देश के लाखों छात्रों,शिक्षकों,अभिभावकों, शिक्षाविदो,जनप्रतिनिधियों व लगभग एक लाख पच्चीस हजार ग्राम समितियों से विचार-विमर्श के उपरांत नई शिक्षा नीति तैयार की गयी। इस नीति को शैक्षिक सत्र 2021-22 में लागू किया जा सकता है। नई शिक्षा नीति 5+3+3+4 के प्रारूप पर तैयार की गयी है। जिसमें आर.टी.ई. के दायरे को बढ़ाकर 3 से 18 आयु वर्ग के छात्रों को शामिल किया गया है। *1.* पहले,5 वर्ष को फाउंडेशन स्टेज माना गया है। इसमें 3 साल प्री- प्राइमरी व शेष 2 साल कक्षा 1 व 2 के लिये है।इसमें बच्चों की मजबूत नींव तैयार की जायेगी।शिक्षा मातृभाषा,स्थानीय भाषा व राष्ट्रभाषा में दी जायेगी। अंग्रेजी में पढ़ायी की अनिवार्यता खत्म होगी। अंग्रेजी मात्र एक विषय के रूप मे पढ़ायी जायेगी। इस स्टेज को 3 से 8 आयु वर्ग के बच्चों के लिये तैयार किया गया है। यह पूर्णरूप से 'खेलो,कूदो और पढ़ो' के सिद्धान्त पर आधारित है। *2.* इसके बाद के 3 साल में कक्षा 3 से 5 के बच्चों का भविष्य तैयार किया जायेगा। इसमें 8 से 11 वर्ष के बच्चों का परिचय विज्ञान,गणित,कला,सामाजिक विषय जैसे विषयों से कराया जायेगा। *3.* अगले 3 साल कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिये है,जिसे मिडिल स्टेज कहा गया है। इसमें 11 से 14 आयु वर्ग के बच्चों को निर्धारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जायेगा। छात्रों को कंप्यूटर कोडिंग का मौका मिलेगा। उन्हे कम उम्र में ही सॉफ्टवेयर व मोबाइल फोन ऐप्लिकेशन बनाने के अवसर प्राप्त होगे। किसी विषय में विशेष रुचि होने पर प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की व्यवस्था भी उपलब्ध करायी जायेगी। *4.* इसके अगले 4 वर्ष लास्ट स्टेज होगी। जिसमें कक्षा 9 से 12 तक की शिक्षा की व्यवस्था है। इसमें 14 से 18 आयु वर्ग के बच्चें सम्मिलित है। इस स्टेज में रटंत विद्या का अन्त करते हुये,बच्चों मे विषयों की समझ को विकसित किया जायेगा। उन्हे जीवन के बड़े लक्ष्यों का निर्धारण करने योग्य बनाया जायेगा। स्ट्रीम सिस्टम पूरी तरह से समाप्त होगा। अब आर्ट्स का छात्र भौतिक विज्ञान तथा कामर्स का इतिहास और समाजशास्त्र पढ़ सकेगा। विभिन्न विषयों के कई पूल तैयार किये जायेगे,और छात्र उनमें सम्मिलित विषयों का चयन स्वेच्छा से कर सकेगें। परीक्षाएँ सेमेस्टर सिस्टम से होगी। एक साल मे दो सेमेस्टर होगे और दोनो की परीक्षाओं मे प्राप्त अंको के आधार पर रिजल्ट तैयार होगे। रिपोर्ट कार्ड 360 डिग्री असेसमेंट आधारित होगे। जिसमें छात्र खुद का विश्लेषण करेंगे,सहपाठी व शिक्षक अंक देगे। रिजल्ट तैयार करते समय बच्चों की समझ पाठ्य सहगामी क्रियाओं व वर्ष भर के कार्यों का मूल्यांकन भी शामिल होगा। उच्च शिक्षा में एडमिशन के लिए कामन एप्टिट्यूड टेस्ट की व्यवस्था की गई है। अब छात्र यदि 12वीं कक्षा में कम अंक पाते हैं तो उन्हें कैट परीक्षा देने का अवसर प्राप्त होगा। फिर 12वी के नंबर और कैट परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट का निर्धारण करते हुए उनकों उच्च शिक्षा में प्रवेश के अवसर प्राप्त हो सकेंगे। ग्रेजुएशन की पढ़ाई को अब तीन और 4 वर्षों में बांट दिया गया है। पहले, यदि आप पढ़ाई बीच में छोड़ देते थे तो आपको डिग्री नहीं मिल पाती थी पर अब ऐसा नहीं है। अब इस व्यवस्था को 'मल्टी इंट्री व मल्टी एग्जिट' वाली बना दिया गया है। छात्र अपनी मर्जी से विषय चुन सकेंगे वह जब चाहे पढ़ाई बीच में छोड़ सकते हैं। 1 साल की पढ़ाई पर सर्टिफिकेट, 2 साल की पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा, 3 वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर बैचलर डिग्री तथा 4 वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर रिसर्च के सर्टिफिकेट के साथ डिग्री प्रदान की जायेगी। अब एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट बनाया जाएगा। इसके तहत अब छात्र एक साथ एक से ज्यादा कोर्स करना चाहे तो कर सकेंगे। जिस कोर्स को जहां तक करेंगे उसके क्रेडिट इस क्रेडिट बैंक में जमा हो जाएंगे। जब छात्र फाइनल डिग्री के लिए कोर्स करेंगे तो उस क्रेडिट को इसमें जोड़ दिया जाएगा। यह व्यवस्था पूरी तरह से डिजिटल व ऑनलाइन होगी। नई शिक्षा नीति में भारतीय उच्च शिक्षा आयोग बनाया जायेगा। इसके तहत चार स्वतंत्र संस्थाएं होगी। जो कि राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद,सामान्य शिक्षा परिषद,उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद,राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद होगे। जिनका कार्य क्रमशः नियमन करना,मानकों का निर्धारण,वित्त पोषण व मान्यता देना होगा। भारतीय उच्च शिक्षा आयोग अदृश्य संस्था होगी जो टेक्नोलॉजी के जरिये हस्तक्षेप करेगी। देश में 34 वर्ष बाद आयी नई शिक्षा नीति पूर्णत: दूरदर्शिता व दृढ़ संकल्प पर आधारित है। यह छात्रों पर अनावश्यक दबाव को कम करेगी तथा उनकी रुचि के अनुसार विषयों का चयन करने के अवसर देकर उन्हे स्वालम्बी बनायेगी तथा सुनहरे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी। सबसे बड़ी चुनौती शिक्षकों के लिये है कि वे शिक्षण विधियों,नवाचार व आई.सी.टी. का प्रयोग करते हुये नई शिक्षा नीति की चुनौतियों को स्वीकार करे तथा देश के नौनिहालों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करे।

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