बाबा का स्कूल

बचपन की बात है, जब मैं लगभग नौ वर्ष का था। मैं और मेरा छोटा भाई अभिजीत बाबा के साथ उनकी साइकिल पर बैठकर उनके स्कूल को गये। मेरे बाबा श्री चतुर्भुज शुक्ला जी सरकारी प्राथमिक विद्यालय बीबीपुर दहेलिया में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत थे। हम शहर में पढ़ते थे। उस दिन अपने गाँव बण्डिया में होने के कारण हमें भी बाबा के स्कूल जाने का अवसर मिला।  
बाबा जी से रास्ते भर हम दोनों खूब बातें करते हुये गये। जब बाबा के विद्यालय पहुँचे तो सब बच्चें हमें घूर रहे थे। उन लोगों ने बाबा से गुरुजी नमस्ते करते हुये पूँछा, " ये दोनों कौन है ?" बाबा ने उन्हे हमारे बारें में बताया। प्रार्थना सभा के उपरान्त सब बच्चें अपनी कक्षाओं में चले गये। बाबा के साथी शिक्षकों ने हमसे खूब कवितायें सुनी। हमारी तारीफ़ भी हुयी। 
बाबा भी हम पर बहुत खुश हो गये। हम लोगो को खेल खेलने की अनुमति मिल गयी। विद्यालय के बच्चों के साथ हमनें खूब मज़े किये। तभी वहाँ थोड़ी बारिश होने लगी। हम सब बहुत खुश थे। 
उस दिन शिक्षक दिवस भी था। बारिश होने के कारण सभी बच्चें बरामदें में एक साथ बैठे। एक मेज पर श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन व ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का चित्र रखा गया। इन पर सभी ने पुष्प अर्पित किये। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना के साथ हुयी। उसके बाद सभी बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। हम दोनों भाईयों ने भी कविता पाठ किया।
 विद्यालय के अध्यापक व मेरे बाबा ने गुरु की महिमा का वर्णन भी किया। उन्होनें अपने विद्यार्थी जीवन व अपने अध्यापकों की बातें भी हमसे साझा की।इस विद्यालय के बच्चों ने भी अपने शिक्षकों की महिमा गान किया। 

उसके पश्चात सभी बच्चों ने अपने अध्यापकों को पुष्प व कलम भेट किये। अध्यापकों ने भी उन्हें उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद दिया। यह दिन मेरे मन मस्तिष्क में बस सा गया। गुरु की महिमा देखकर और सुनकर मैनें उस दिन निश्चय किया कि मैं बड़ा होकर, पढ़- लिखकर अपने बाबा की तरह शिक्षक बनूँगा। सपनें पूरे भी होते है। 
सबके आशीर्वाद से मेरा स्वप्न व लक्ष्य पूर्ण भी हुआ। आज मैं भी सरकारी प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत हूँ। लेखक:- अभिषेक शुक्ला प्राथमिक विद्यालय लदपुरा विकास क्षेत्र- अमरिया जिला- पीलीभीत

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