घुमक्कड़ हुनरबाज
"रद्दी को भी लाइब्रेरी बना लेते है,
मेहनत से किस्मत चमका लेते है।
फैके हुये कागज़ के टुकड़ो पर,
हम अपना हुनर आजमा लेते है।
कोई नही सिखाता है सबक पर,
जिन्दगी से ही हम सीख लेते है।
किताबों मे है सब अच्छी बात पर,
वजूद इसका जमाने मे देख लेते है।
हमारी बस्तियों मे कोई नही आता पर,
हम घुमक्कड़ सारा जमाना देख लेते है।"
रचनाकार:-
अभिषेक शुक्ला "सीतापुर"
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