सच्ची निशानी

"सिर पर मेरे ताज नही ये तसला है,
दो वक़्त की रोटी का सब ये मसला है।
शौहर मेरा शाहजहाँ जैसा धनी तो नही है,
रूप मेरा मुमताज जैसा सुन्दर तो नही है।
पर मुस्कान मेरी प्यार की सच्ची निशानी है,
चेहरे पर सजा गुलाल वो देश की माटी है।
हम गरीब प्रेम भावों को खूब समझते है,
हमारे बन्धन तो सात जन्मो तक बंधते है।
हम जीवन भर एक-दूजे का साथ निभाते है,
हम जीते जी अपनो की कब्र नही खुदवाते है।
हमारे यहाँ ऐसा उपहार नही दिया जाता है,
जो है जीवित उसे मृत नही कहा जाता है।
हम तो प्रेम मे संग जीते संग मर जाते है,
हमे ताबूत-ए-संगमरमर नही दिये जाते है।"
नोट:-फोटो साभार फेसबुक

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