क्रूरता
Abhishekshuklasitapur
मुझ पर यूं रौब तुम दिखाते हो,
गरीब को तुम भी खूब सताते हो।
किस्मत ने छीन लिया सब कुछ,
तुम भी इस अनाथ को रुलाते हो।
न भीख न दया मे कुछ माँगा मैने,
न चोरी की न ही डाका डाला मैने।
हर तकलीफ़ मुसीबत झेली मैने,
पर मेहनत मजदूरी न छोड़ी मैने।
पर यह सब भी तुमको क्यो खल गया?
बोलो मानवता धर्म तुम्हारा कहाँ गया?
मुझ पर यूं रौब तुम दिखाते हो,
गरीब को तुम भी खूब सताते हो।
किस्मत ने छीन लिया सब कुछ,
तुम भी इस अनाथ को रुलाते हो।
न भीख न दया मे कुछ माँगा मैने,
न चोरी की न ही डाका डाला मैने।
हर तकलीफ़ मुसीबत झेली मैने,
पर मेहनत मजदूरी न छोड़ी मैने।
पर यह सब भी तुमको क्यो खल गया?
बोलो मानवता धर्म तुम्हारा कहाँ गया?
नोट:-फोटो साभार फेसबुक
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