प्राथमिक विद्यालय

"प्राथमिक विद्यालय तो है ज्ञान का घर,
हमारे सपनो व सच्चे भविष्य निर्माण का घर।

हम कुशल नेतृत्व में है पढ़ते और खेलते,
शिक्षक हमारा बहुमुखी विकास है करते।

हम खेल के मैदान मे है खूब करतब दिखाते,
योग और व्यायाम मे है खूब निपुणता पाते।

हमे गुरूजन सिखाते है सत्य, कर्त्तव्य,व परोपकार,
अच्छी बात सिखाने को करते है प्रतिदिन नवाचार।

पुस्तक 'हमारा परिवेश' से स्वस्थ्य जीवन जीना हमे आया है,
'संस्कृत पीयूषम' के श्लोकों ने नैतिकता का पाठ सिखाया है।

'परख' ने हमे जीव-जन्तु,पौधो से परिचित करवाया है,
'कलरव' की कविताओ से सस्वर वाचन करना आया है।

'रैनबो' ने आंग्ल भाषा के रंगो से जिन्दगी को सजाया है,
'गिनतारा' से हम सबको जोड़ घटाना सब कुछ आया है।

अपने गाँव का प्राथमिक विद्यालय  हमारे मन को खूब भाया है,
सरस्वती के इस पावन मन्दिर ने ज्ञान का दीप जलाया है।"

रचनाकार:-
अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'

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