पसन्द है मुझे
'तेरी मोहब्बत ने आवारा बना दिया,
ढलते हुये सूरज का किनारा बना दिया।
उम्र भर रखा था खुद को सम्भाल कर,
तेरी जुल्फो के साये ने दीवाना बना दिया।
पहचान थी मेरी शक्सियत की पूरे शहर मे,
तेरी चाहत मे हमने खुद को भुला दिया।
जब से तू मुझे भूलकर हँसने लगा,
संग दुनिया के महफिल मे रहने लगा।
मै तो खुद और खुदा से खफा होकर,
तेरी यादों के हर एक लम्हे मे खोने लगा।
सुन ले आज भी तू बहुत याद आया है मुझे,
संग आँखों के दिल ने रुलाया है मुझे।
प्यार अगर दीवानगी है तो पसंद है मुझे।
जानता हूँ कि अब कहा फुरसत है तुझे।'
रचनाकार:-
अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'
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