तू बस गया
"मुझे भूल जाना अब मुमकिन तो नही,
तेरे अपनो मे तो मै शामिल भी नही।
इंतजार रहता है कि तू आवाज़ देगी,
होगी फुर्सत तुझे तो जवाब भी देगी।
पर यह वहम भी तो अब टूटने लगा है,
तू अब गैरो की फिक्र ज्यादा करने लगा है।
बसा रखा है तुझे मैने अपने हृदय में,
वहाँ रहना भी अब तुझे खलने लगा है।
मेरी भावनाओं की तुझे फिक्र रह न गयी,
रचनाकार:-
अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'
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