सीतापुरिया पलटन बाजी

कहाँ गयी वो पलटन बाजी?
हुल्लड़ पन की वो आजादी?
दोस्तों संग वो खीचा तानी,
खुलकर जीने की मनमानी।
सीतापुर की वो सुबह सुन्दर व न्यारी,
जी.आई.सी मे एडमिशन की मारामारी।
आर.आर.डी. मे प्रवेश की वो तैयारी,
आर.एम.पी. स्कूल की फ़ील्ड के खिलाड़ी।
उजागर लाल इंटर कालेज से लेकर,
आई हॉस्पिटल रोड तक साइकिल की सवारी।
कॉलेज स्ट्राइक का वो धूम धडाका,
श्यामकिशोर का पानी का बताशा।
सुबह श्यामनाथ मन्दिर मे शिव दर्शन,
दिन भर पढ़ते सब कॉलेज और ट्यूशन।
लालबाग की वो शाम सुन्दर सी,
दीक्षित जी की लस्सी मीठी सी।
चुंगी से बाईपास पर बाइक से रेस लगाना,
दोस्तो संग कंपनी गार्डन वो घूमने जाना।
हर संडे सब दोस्तों संग पार्टी मनाना,
सज धजकर फिर बाहर घूमने जाना।

रचनाकार:-
अभिषेक शुक्ला 'सीतापुर'

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