बेजुबान
जुबानी इबादत ही काफी नही होती,
इन्सान मे ही केवल जान नही होती।
दिल की सदाये खुदा तो सुनता होगा?
उसे दुनिया का हर हाल पता चलता होगा।
कैसे बनाये इन्सान उसने इस जहान मे,
वह जन्नत से सब कुछ देखता होगा।
फायदे के लिए इन्सान ने यह क्या कर डाला,
सारी दुनिया को अपने हिसाब से रच डाला।
बेजुबानो की तो आजादी ही छीन ली,
बेरहम बन उनकी जीने की खुशी छीन ली।
अपना सारा बोझ उन पर डाल दिया,
उनकी जिन्दगी को खूटे से बाँध दिया।
कब तक जोर जुल्म यूं ही चलता रहेगा?
Comments
Post a Comment