तन्हाईयां
तन्हाईयों ने भी क्या गजब का जिन्दगी पर असर छोड़ा है,
जब से किसी अपने ने दुनिया की खातिर मुंह फेरा है।
उसकी याद मे एक पल भी कही अब चैन सुकून मिलता नही,
उसे संग बिताये लम्हों का अब एक दौर भी याद आता नही।
सोचता हूँ क्या मेरे बिन उन्हे अपनो मे खुशी मिलती होगी,
उनके चेहरे पर झिलमिल सी वो प्यारी मुस्कान सजती होगी।
उनकी झूठी हँसी मे छिपा हुआ दर्द कौन अब समझता होगा,
क्या मेरा महबूब मुझे आज भी अपने दिल से याद करता होगा।
सूरज भी ढल गया है शाम भी तो है अब हो चली,
मेरे प्रियतम को अब भी तनिक भी फुर्सत न मिली।
परिंदे भी चल दिये है अम्बर छोड़ अपने आशियाने की ओर,
पर अब मेरे बेचैन दिल तू बता तू जायेगा अब किस ओर ?
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