कुछ पूछ लूँ

"तुमसे कुछ पूछ लू तो पल भर मे रूठ जाते हो,

कभी न मिलोगो मुझसे दोबारा ये कसम खाते हो।

दुनिया भर के सितम तुम हँसकर सह लेते हो,

मेरी प्यार भरी निगाह से भी मुँह मोड़ लेते हो।

माना बुरा हूँ बहुत पर तुमसे प्यार करता हूँ,

तुम्हारी हर एक अदा पर जा निसार करता हूँ।

फिर क्यो तुम मुझे गैरो की तरह भुला देते हो,

बेरुखी से क्यो मेरे दिल का दर्द बढ़ा देते हो।

बेकरार हूँ तुम बिन पर खुद को बहला लेता हूँ।

आओगे तुम तडपकर ये दिल को समझा लेता हूँ।"

*अभिषेक शुक्ला "सीतापुर"*

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