मुझे न पाओगे

"तुमसे मिलने को अब हम न कहेगे,
कोई गिला शिकवा अब हम न करेगे।
तुम बुलाओगे मुझे भीड़ मे भी आवाज देकर,
इस बात का हम भी बेसब्री से इन्तजार करेंगे।
तू सदा खुश रहे अपनो की महफिल मे,
ये दुआ हम भी अपने दिल से करेगे।
सिहर उठोगे उन बहारो से जो मुझे छूकर तुम तक जायेगे,
महक उठेगी जब फिज़ाये तो खुद को न रोक पाओगे।
मिलने को तडप उठोगे तब मेरे दीदार को आओगे,
सांसे थम चुकी होगी मेरी तब तुम मुझे न पाओगे।"
*अभिषेक शुक्ला सीतापुर*

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