बचपन

” वो झिलमिल बचपन की यादें,
अपनों से अपनो की बातें।

प्यार भरा अपना संसार,
सुख से भरा अपना घर द्वार।

सब कुछ जानने की चाहत,
दोस्तो संग रहने की आदत।

सबके संग हँसी ठिठोली,
दोस्तो संग रंग बिरंगी होली।

अपनो का असीम प्यार,
वो मास्टर जी की फटकार।

छुट्टियों का हर पल इन्तेज़ार,
घर आये बड़ों को नमस्कार।

वो झिलमिल बचपन की यादें।
अपनों से अपनों की बातें।।’

अभिषेक शुक्ला

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