आगोश मे
"उन्हे तो मालूम था कि मै तन्हाई से ताल्लुक रखता हूँ ,
इन दिनो उन बिन मै तो अपनी अँधेरी दुनिया मे रहता हूँ ।
मुझसे जुदा हो जाने का उन्हे कोई अफसोस न होगा,
बना दिया मुझे गैर पर खुद पर कोई इल्जाम न होगा।
उनके प्यार मे सारी दुनिया को भुला बैठे हम,
उन्होंने गलती से भी न पूछा अब कैसे हो तुम।
उनको मै और मेरा प्यार बोझ लगने लगा,
मै तो उनकी याद मे और ज्यादा तडपने लगा।
वो खुश है अपनो की महफिल मे मुझे बुरा मानकर,
मै भटक रहा हूँ दुनिया मे उन्हे अपना खुदा मानकर।
मुमकिन है किसी पल में उन्हे भी मेरी याद आयेगी,
तब मेरा प्यार और अच्छाईया उन्हे बेताब कर जायेगी।
शायद वो ढूँढेगे मुझे बेकरार होकर दुनिया की भीड़ मे,
बेखबर तब तक मै जा बसा हूंगा मौत के आगोश मे।"
रचनाकार:-
अभिषेक शुक्ला "सीतापुर"
इन दिनो उन बिन मै तो अपनी अँधेरी दुनिया मे रहता हूँ ।
मुझसे जुदा हो जाने का उन्हे कोई अफसोस न होगा,
बना दिया मुझे गैर पर खुद पर कोई इल्जाम न होगा।
उनके प्यार मे सारी दुनिया को भुला बैठे हम,
उन्होंने गलती से भी न पूछा अब कैसे हो तुम।
उनको मै और मेरा प्यार बोझ लगने लगा,
मै तो उनकी याद मे और ज्यादा तडपने लगा।
वो खुश है अपनो की महफिल मे मुझे बुरा मानकर,
मै भटक रहा हूँ दुनिया मे उन्हे अपना खुदा मानकर।
मुमकिन है किसी पल में उन्हे भी मेरी याद आयेगी,
तब मेरा प्यार और अच्छाईया उन्हे बेताब कर जायेगी।
शायद वो ढूँढेगे मुझे बेकरार होकर दुनिया की भीड़ मे,
बेखबर तब तक मै जा बसा हूंगा मौत के आगोश मे।"
रचनाकार:-
अभिषेक शुक्ला "सीतापुर"
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