सावन आया
"वर्षा ऋतु है अब आयी,
चहुं और है बदली छायी।
मौसम सुहाना हो गया,
हर पेड़ पौधा हरा हो गया।
सावन की बदली है सुहानी,
हर चेहरा अब तो है नूरानी।
हाथों में मेहंदी रच गयी,
हर बाला अब तो सज गयी।
पेड़ो पर पड़ गए है झूले,
सब हंस कर ले रहे हिलोरे।
राधा तुम भी आ जाओ,
तुम बिन ये सावन न भाये।
कृष्ण की मुरली अधरों पर सज गयी।
सारी दुनिया उसकी दीवानी हो गयी।।"
-अभिषेक शुक्ला सीतापुर
चहुं और है बदली छायी।
मौसम सुहाना हो गया,
हर पेड़ पौधा हरा हो गया।
सावन की बदली है सुहानी,
हर चेहरा अब तो है नूरानी।
हाथों में मेहंदी रच गयी,
हर बाला अब तो सज गयी।
पेड़ो पर पड़ गए है झूले,
सब हंस कर ले रहे हिलोरे।
राधा तुम भी आ जाओ,
तुम बिन ये सावन न भाये।
कृष्ण की मुरली अधरों पर सज गयी।
सारी दुनिया उसकी दीवानी हो गयी।।"
-अभिषेक शुक्ला सीतापुर
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