आते तो सही
"नफरतो के दौर है बहुत पर तुम आते तो सही,
करके कुछ ऐसा मेरे मन को लुभाते तो सही।
सिलसिले है यहाँ बर्बादी के भी मंजर देखे बहुत है हमने,
पर डूबती हुई कश्ती को भी तो सहारे कहाँ दिये है तुमने।
है मलाल बहुत पर सब संयम मौन से सहता रहा,
जानकर सब छल प्रपंच भी मै अनजान बनता रहा।
है तसल्ली या बेफिक्र सा यह अंदाज फैसलों का मेरा,
तू सोच और समझ क्या होगा कयामत के दिन तेरा।
अपनी तो कटी है कट जायेगी यायावर बनकर ,
तू सोच तेरा क्या होगा खुदा का फैसला सुनकर।।"
करके कुछ ऐसा मेरे मन को लुभाते तो सही।
सिलसिले है यहाँ बर्बादी के भी मंजर देखे बहुत है हमने,
पर डूबती हुई कश्ती को भी तो सहारे कहाँ दिये है तुमने।
है मलाल बहुत पर सब संयम मौन से सहता रहा,
जानकर सब छल प्रपंच भी मै अनजान बनता रहा।
है तसल्ली या बेफिक्र सा यह अंदाज फैसलों का मेरा,
तू सोच और समझ क्या होगा कयामत के दिन तेरा।
अपनी तो कटी है कट जायेगी यायावर बनकर ,
तू सोच तेरा क्या होगा खुदा का फैसला सुनकर।।"
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