चाँद तू बता

चाँद तू बता इतनी दूर क्यों बसता है,
तू तो सबके दिलों की धड़कनों में रहता है।
कोई तुझे देखे बिना ईद न मना पाये,
कोई तेरे दीदार बिना व्रत न पूर्ण कर पाये।
सब तुझसे अमन शांति की कामना करते हैं,
सब तुझ सा प्यारा साथी पाने को आह भरते हैं।
प्रेमी अपनी प्रेयसी में तेरा दीदार करते हैं,
कवि तुझ पर अपना काव्य रचते हैं।
तू तो सितारों बीच आसमान में बसता है,
तुझको धरती से ये "अभिषेक" नमन करता है।
तुझको पाने को कन्हैया का भी मन मचलता है।
ये चाँद तू बता तू इतनी दूर क्यों बसता है।

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