अटल "अटल जी"

अटल मार्ग पर चलने वाले "अटल जी" तुम चल दिये,
भारत रत्न इस धरा को तुम सूना करके चल दिये।
ज्ञानदीप को निज रचनाओं से प्रज्ज्वलित कर तुम चल दिये,
राजनीति के मर्मज्ञ नये आयाम गढ़ तुम चल दिये।
ऊर्जावान,प्रभावशाली तुम स्वाभिमान की ज्वलंत चिन्गारी,
मृत्यु अटल सत्य है इस लोक मे आज तेरी कल उसकी बारी ।
हार नहीं मानूगाँ रार नयी ठानूगाँ कहते थे तुम ये व्रतधारी,
सरल मुस्कान बिखेरी तुमने चाहे संकट हुआ कितना भारी।
आपके अटल इरादों को "अटल जी" काल भी न डिगा सका,
अटल मृत्यु का शाश्वत सत्य भी न आपके नाम को मिटा सका।
आपको इस पावन धरा "भारत" का जन जन वन्दन करता है।
स्तब्ध  नि:शब्द "अभिषेक"आपको शत शत प्रणाम करता है।

अटल जी को समर्पित....

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