तुम्हारी आँखें
"तेरी क्या मैं बात करूं,
तुझसे ख्वाबों में मुलाकात करूँ।
तेरी पहली नजर की मदहोशी में,
मैं तो अब दिन रात रहूँ।
आंखें हैं तेरी बहुत कुछ कहती,
मैं उन्हें समझने का प्रयास करूँ।
छिपाना चाहते हो मुझसे तुम कई बातें,
पर इज़हार कर जाती है तुम्हारी आँखे।
आँख हो भरी तो कैसे मुस्कुरा लेते हो,
दर्द में हँसने का हुनर कहाँ से लाते हो।
जब भी नम होते है तुम्हारे नैन,
तो मन हो उठता है मेरा बेचैन।
तुम्हारे नैनो के हर मंजर को समझने लगा हूँ।
लब्ज है चुप पर तेरी आंखों की भाषा समझने लगा हूँ।।"
-अभिषेक शुक्ला
तुझसे ख्वाबों में मुलाकात करूँ।
तेरी पहली नजर की मदहोशी में,
मैं तो अब दिन रात रहूँ।
आंखें हैं तेरी बहुत कुछ कहती,
मैं उन्हें समझने का प्रयास करूँ।
छिपाना चाहते हो मुझसे तुम कई बातें,
पर इज़हार कर जाती है तुम्हारी आँखे।
आँख हो भरी तो कैसे मुस्कुरा लेते हो,
दर्द में हँसने का हुनर कहाँ से लाते हो।
जब भी नम होते है तुम्हारे नैन,
तो मन हो उठता है मेरा बेचैन।
तुम्हारे नैनो के हर मंजर को समझने लगा हूँ।
लब्ज है चुप पर तेरी आंखों की भाषा समझने लगा हूँ।।"
-अभिषेक शुक्ला
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