कोरा कागज़

मैं तो हूँ एक कोरा कागज
जो चाहे सो लिख लो
हार लिख लो चाहे विजय का परचम लिख लो,
लिख लो तुम परतन्त्रता या आजादी लिख लो।
शामिल हूँ मैं सुख दुख में,
तेरे जीवन के प्रति पल में।
वन्दन लिख लो चाहे या विषाद का वर्णन लिख लो,
लिख लो तुम प्रणय निवेदन या अभिवादन लिख लो।
मिलूँगा तुम्हे मैं प्रत्येक छोर पर,
तेरे जीवन के हर एक मोड़ पर।
बिछोह लिख लो चाहे या मिलन की यादें लिख लो,
लिख लो तुम प्रियतम की यादें या अफ़साने लिख लो।
तेरा जीवन है मेरा रंग रूप ,
मेरे तो हैं कई प्रतिरूप ।
मैं तो हूँ एक कोरा कागज,
जो चाहे सो लिख लो ।।

अभिषेक शुक्ला सीतापुर

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